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पता है…. – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi
3 मिनट
पढ़ने का समयऑफिस की सीढियां चढ़ ही रहा था कि पीछे दौड़ती आती पदचापों से थम सा गया मुड़ कर देखा तो अश्विनी था।
थोड़ा ठहर तो अविनाश तेरे पैदल चलने में भी वही रफ्तार है जो तेरे ऑफिस काम करने के तरीके में है अरे इतनी जल्दी है तो लिफ्ट से आया जाया कर तुझे पता भी है ऑफिस में कल हुआ क्या है…अश्विनी ने लगभग हांफते हुए कहा।
मुझे यह पता है सीढियां चढ़ना बेहतरीन व्यवयाम होता है मित्र अश्विनी पर भाई सब कुछ पता होते हुए भी तुम क्यों लिफ्ट छोड़ मेरे पीछे आ रहे हो अविनाश ने चुटकी ली।
पता है कल बॉस ने सुधीर को क्यों बुलाया था।फाइल्स गड़बड़ थीं।लेटेस्ट प्रोजेक्ट की फाइल में ब्लंडर गलतियां पकड़ी और उसे उस प्रोजेक्ट से बाहर करने का प्रस्ताव बना दिया चहकती हुई आवाज में बहुत राजदारी से अश्विनी बता रहा था मानो कोई बेहद संगीन राज खोल रहा हो।
ओह इसीलिए कल सुधीर का चेहरा लटका हुआ था।उसका तो प्रमोशन भी ड्यू था अब ये रोड़ा आ गया लेकिन ये सब हुआ कैसे सुधीर का काम तो परफेक्ट रहता है इतनी गंभीर लापरवाही कैसे हो गई …. अविनाश विस्मित हो रुक ही गया ।
पता है कैसे हो गया जानना चाहते हो बेहद राजदारी से रहस्यमई मुस्कान लिए अश्विनी एकदम सामने आकर खड़ा हो गया।
कहीं तुम्हारा हाथ तो नहीं…..अविनाश ने उसकी छद्म मुस्कान और हावभाव भांपते हुए झटके से पूछा।
और किसका हो सकता है अविनाश जी।अब देखना मेरा प्रमोशन सुधीर के बदले इसी ऑफिस में होगा और वह उसी पोस्ट में सड़ता रहेगा ठहाका लगाते हुए अश्विनी बोल उठा।
बेहद बेबसी और आक्रोश से अविनाश उसे किनारे करता तेजी से बाकी सीढ़ियां चढ़ता ऑफिस में पहुंचा ही था कि ऑफिस प्यून मोहन आ गया “…अश्विनी सर बॉस आपको तुरत बुला रहे हैं ” सुनते ही अश्विनी ने विजयी भाव से अविनाश की ओर देखा और फुदकता हुआ बॉस के चैंबर की ओर कदम बढ़ा दिए।
पता है सुधीर सर की फाइल खराब करने की अश्विनी सर की करतूत बॉस को पता चल गई है और बहुत नाराज होते हुए उन्होंने अश्विनी सर को बर्खास्त कर इस ऑफिस से ही हटा दिया है और सुधीर सर को प्रमोट कर दिया है…. थोड़ी ही देर में चपरासी मोहन सनसनीखेज खबर सबको बता रहा था और अश्विनी मुंह लटकाए पस्त कदमों से चैंबर से बाहर आ रहा था।
पता है अश्विनी सुधीर को इसी ऑफिस में प्रमोशन मिल गया है…अविनाश ने तेजी से आगे बढ़ कर कहा तो अश्विनी नजरें नहीं उठा पाया..।
लघुकथा#
लतिका श्रीवास्तव